कैदी बैंड फिल्म रिव्यु: शानदार अभिनय, बेहतरीन निर्देशन के दम पर दर्शकों को कैद करने में सफल रहती है फिल्म

qaidi band movie review: a good with with earnest performances

आज रिलीज हो रही है फिल्म कैदी बैंड से आन्या सिंह और कपूर खानदान से ताल्लुक रखने वाले का आदर जैन डेब्यू कर रहे हैं। सच्ची घटनाओं पर आधारित यह फिल्म अंडरट्रायल कैदियों के ऊपर बनी है, जिसमें कुछ कैदी मिलकर जेल के अंदर ही अपना बैंड तैयार कर लेते है। इन सब के पीछे उनका मकसद मात्र जेल से छूटना होता है। हबीब फैसल के निर्देशन में बनी इस फिल्म का निर्माण यश राज फिल्म्स ने किया है। आइये फिल्म के रिव्यु पर एक नज़र डालते हैं:

कहानी
फिल्म में सन्जू (आदर जैन) और बिन्दु (आन्या सिंह) अंडर ट्रायल कैदी होते हैं और काफी समय से न्याय पाने के लिए संघर्ष कर रहे होते हैं। गरीब होने की वजह से संजू और बिंदु बड़ा वकील नहीं रख पा रहे और बेगुनाह होके भी उन्हें जेल में रहना पड़ रहा है। इसी बीच जेल के स्थापना दिवस के कार्यक्रम के लिए एक अच्छे बैंड की तलाश शुरू की जाती है। ऐसे में जेलर (सचिन पिलगांवकर) कुछ अंडरट्रायल कैदियों के साथ मिलकर एक बैंड तैयार करते हैं।  संजू और बिंदु के अलावा तीन और युवा अंडरट्रायल कैदी इस बैंड का हिस्सा बनते हैं। बैंड का नाम ‘सेनानी बैंड’ रखा जाता है। जेल दिवस के मौके पर बैंड का शानदार प्रदर्शन लोगों को बेहद पसंद आता है और इसके मेम्बेर्स रातों-रात स्टार बन जाते हैं। उनका बैंड सोशल मीडिया पर वायरल हो जाता है और मीडिया में सभी जगह उनकी चर्चा शुरू हो जाती है।

qaidi band star castइसी बीच ‘सेनानी बैंड’ को एक मशहूर रॉक बैंड के साथ शो करने का मौका मिलता है। इसी रॉक बैंड से उन्हें एक ऐसी संगीत प्रतियोगिता का मालूम पड़ता है जिसे जितने वालों को 50 लाख का इनाम दिया जाना है। ये सब जानकार ‘सेनानी बैंड’ जेल से भागने की प्लानिंग में करने लगता है ताकि 50 लाख जीत बड़े वकील को पैसे देकर अपनी बेगुनाही साबित की जा सके। नये संगीत वाद्ययंत्र खरीदने की आड़ में जेल से भागने की प्लानिंग की जाती है। क्या कैदी बैंड जेल से भागने में सफल होता है? क्या ‘सेनानी बैंड’ के मेम्बेर्स संगीत प्रतियोगिता जीतकर खुद को बेगुनाह साबित करने में सफा रहते है? इन सबका जवाब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी:

पेर्फोर्मंसस
अपनी पहली फिल्म में आदर और आन्या दर्शकों के दिलों पर छाप छोड़ने में कामयाब रहे हैं। आदर जैन स्क्रीन पर अच्छे आगे है लेकिन काफी हद तक रणबीर कपूर की नकल करने की कोशिश करते दिखे हैं। समय के साथ आदर एक अच्छे एक्टर के रूप में अपनी पहचान बना सकते हैं। वहीं दूसरी और आन्या सिंह ने बिंदु की भूमिका में दमदार रोल निभाया है। आन्या ने हर तरीके से आदर से बेहतर एक्टिंग की है।

स्पेशल गेस्ट के तौर पर राम कपूर का रोल भी अच्छा है। बॉलीवुड में वापसी कर रहे सचिन पिलगांवकर के भी अच्छा काम किया है।

डायरेक्शन
हबीब फैसल एक शानदार और काबिल निर्देशक हैं और इस बात का प्रमाण वो इशाक्जादे और दो दुनी चार जैसी फिल्मों से दे चुके हैं। कैदी बैंड के साथ हबीब फैजल ने एक बार फिर खुद को साबित किया है। एक अच्छी कहानी को फैजल ने एक शानदार फिल्म में तब्दील कर अपनी काबिलियत का प्रमाण दिया है।

म्यूजिक
म्यूजिक की बात की जाए तो अमित त्रिवेदी ने गानों के जरिए फिल्म में जान डालने की पूरी कोशिश की है। लेकिन ‘आई एम इंडिया’ के अलावा शायद ही कोई गाना ऐसा हो जो आपको थियेटर से बाहर निकलने के बाद याद रह जाए। हितेश मोदक का बैकग्राउंड म्यूजिक दर्शकों को अपने साथ जोड़े रखने की कोशिश करता है।

फिल्म देखें या न देखें
अगर आप अच्छी कहानियों, वास्तविक सिनेमा के शौक़ीन हैं तो आपको ये फिल्म जरूर पसंद आएगी। वैसे भी अब वक़्त आ गया है की हम बड़े स्टार्स के चोचलों से निकलकर अच्छे और प्रोग्रेसिव सिनेमा की ओर कदम बढ़ाएं। हमारी तरफ से फिल्म को 5 में से 3 स्टार।

बॉक्स ऑफिस प्रेडिक्शन
टॉयलेट: एक प्रेमकथा, बरेली की बर्फी और एनाबेल अभी तक सिनेमाघरों पर लगी हुई है और दर्शकों को पसंद भी आ रही है। एक अच्छी फिल्म होने के बावजूद कैदी बैंड को बॉक्स ऑफिस पर जूझना पड़ सकता है। आज रिलीज हो रही फ़िल्में ‘ए जेंटलमैन’ और ‘बाबूमोशाय बंदूकबाज’ के सामने कैदी बैंड का बॉक्स ऑफिस पर ज्यादा समय तक टिकना मुश्किल होगा।

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