शाहरुख़ खान को बॉलीवुड का बादशाह कहा जाता है लेकिन इसमें कोई दोराय नहीं की पिछले 3 साल से उनकी फिल्मों ने दर्शकों को बहुत निराश किया है। अपने 25 साल के फ़िल्मी करियर में शाहरुख़ ने कभी ऐसा वक़्त नहीं देखा है। जहाँ एक ओर आमिर, अक्षय और सलमान बॉक्स ऑफिस पर छाए हुए हैं, वहीँ शाहरुख़ की फिल्में लगातार फ्लॉप हो रहीं हैं। उनकी हालिया रिलीज़ फिल्म ‘जब हैरी मेट सेजल’ को दर्शकों ने पूरी तरह नकार दिया है। इस बार का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि फिल्म 65 करोड़ भी नहीं कमा पाई है।
लगातार फ्लॉप फिल्मों से शाहरुख़ खान का करियर ग्राफ गिर रहा है। ख़बरों का बाज़ार गर्म है कि शाहरुख़ का फ़िल्मी करियर ख़त्म हो चुका है। शाहरुख़ भी लगातार फ्लॉप फिल्मों से परेशान दिख रहें है और अब वक़्त आ गया है कि वो दर्शकों के सामने कुछ नया लेकर आये।
जरूरत है रणनीति में बदलाव की
पिछले कुछ वर्षों में हर बड़े सुपरस्टार ने दर्शकों की पसंद के हिसाब से खुद को ढाल लिया है। अक्षय कुमार ने जहाँ देशभक्ति और देसी फिल्मों से कमाल किया है, वहीँ सलमान खान ने बॉडीगार्ड, किक और सुल्तान जैसी मसाला फिल्मों से लोगों का दिल जीता है। आमिर खान ने किसी एक प्रकार की फ़िल्में नहीं की है लेकिन उनका परफेक्शन ही फिल्मों को हिट कराने के लिए काफी है।
शाहरुख़ की सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि पिछले 3 सालों में उन्होंने सब कुछ करने की कोशिश की है। चेन्नई एक्सप्रेस और हैप्पी न्यू इयर जैसी मसाला फिल्मों के बाद उन्होंने फैन जैसी मुश्किल फिल्म की। फिर रईस में गैंगस्टर बनकर आ गए। उसके बाद इम्तिआज़ अली की फिल्म ‘जब हैरी मेट सेजल’ में लोवर बॉय बन गए। ऐसा लगता है जैसे शाहरुख़ जल्दबाजी में फ़िल्में कर रहें। चाहे कोई कुछ भी कहे, शाहरुख़ इस वक़्त सही फिल्मों का चुनाव नहीं कर रहे है।
शाहरुख़ को देसी फ़िल्में करनी चाइये
शाहरुख़ को ये समझना चाइए कि भारतीय दर्शकों की पसंद वक़्त के साथ बदल गयी है। 90 के दशक की रोमांटिक फिल्मों का वक़्त अब गुज़र गया है। भारतीय दर्शक अब बुद्धिमान हो गया है और उसे अच्छी फ़िल्में ही पसंद आती हैं। पिछले कुछ सालों का चलन देखा जाए तो साफ़ है कि देसी फ़िल्में दर्शकों को खूब पसंद आ रही है। दंगल, बजरंगी भाईजान, सुल्तान, एयरलिफ्ट, बद्रीनाथ की दुल्हनिया, रुस्तोम, बाहुबली जैसी फिल्मों की सफलता ने ये साबित किया है कि जमाना देसी फिल्मों का है। ये वक़्त ऐसी फिल्मों का है जिसे छोटे शहर से लेकर, मुंबई, दिल्ली जैसे बड़े शहरों का दर्शक पसंद करे।
‘जब हैरी मेट सेजल’ जैसी फिल्मों का एक सीमित दर्शक वर्ग है। चेन्नई एक्सप्रेस और दिलवाले जैसी फिल्मों में दर्शक शाहरुख़ को देखना नहीं चाहते। अब वक़्त आ गया है कि शाहरुख़ प्यार, मोहब्बत और मसाला फ़िल्में छोड़कर स्वदेस, चक दे इंडिया जैसी देसी फिल्में करें। ये फिल्में बॉक्स ऑफिस पर भले ज्यादा न चलें पर एक अभिनेता के रूप में शाहरुख़ को और सशक्त करेंगी।
आपकी राय
हमारे हिसाब से कोई भी फिल्म करने से पहले अभिनेता को ध्यान रखना चाहिए कि दर्शक उससे क्या उम्मीद रखते हैं और उसे किस रूप में देखना चाहते हैं। अगर अभिनेता अपने फैन्स को ध्यान में रखकर फिल्म में अभिनय करता है तो उसकी फिल्मों को सराहना जरुर मिलती है। आपकी इस विषय पर क्या राय है? अपनी राय कमेंट बॉक्स में शेयर करें।
Naam king khan ka aaj bhi chalta hai