पिछले कुछ समय में बच्चों को सड़क किनारे फेंक देने की कई घटनाएं सुनने को मिली है। ऐसी घटनाएं पूरे समाज के दिल को झकझोर देती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक हर साल भारत में 60 हज़ार से भी ज्यादा बच्चें उनके मां-बाप द्वारा लावारिस छोड़ दिए जाते है, जिनमें से 90 फीसदी लड़कियां होती है। इन्हीं सब घटनाओं के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए अकाश मिहामी ने एक बहुत ही सुंदर पहल की है। उन्होंने एक शॉर्ट फिल्म में माँ की ममता दिखाते हुए ऐसे लोगों पर प्रहार करने की कोशिश की है जो अपने बच्चें के पैदा होते ही उनसे अपना पल्ला झाड़ लेते है।
इस शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री में अकाश ने एक ममता नाम की बच्ची की कहानी दिखाई है। बिन मां की ममता एक गांव में अपने पिता के साथ रहती है। एक दिन उसे स्कूल से मां पर निबंध लिखने का होमवर्क मिलता है लेकिन वह बिना होमवर्क किए ही अगले दिन स्कूल पहुंच जाती है। स्कूल में ममता के शिक्षक उसे अपना निबंध सुनाने के लिए कहते है। इस पर ममता अपनी बकरी और उसकी बेटी की एक कहानी सुनाती है, जो सभी को बेहद पसंद आती है।
इसके बाद ममता बताती है कि उस दिन स्कूल आते समय रास्ते में उसे एक बच्चे के रोने की आवाज सुनाई देती है। ममता उस बच्चे को अपने साथ स्कूल ले जाती है और सवाल करती है कि आखिर इस मां की क्या मजबूरी थी जो वह अपने बच्चें को इस तरह जंगल में छोड़ के चली गई। अपने निबंध में ममता कई ऐसी बातें करती है जो उसके शिक्षक को एक अजीब सी मनो-वैज्ञानिक स्थिति में डाल देते है। निर्देशक ने इस शॉर्ट फिल्म का नाम ‘मम’ रखा है।
यह शॉर्ट फिल्म बनाने का आइडिया अकाश को एक सच्ची घटना से आया था। लगभग दो साल पहले 5 सितंबर को मध्य प्रदेश के मंदसौर में एक 5 घंटे की बच्ची राख के ढेर पर पड़ी मिली थी। वहां से गुज़र रहे एक जोड़े ने उस बच्ची की आवाज सुनी और जल्द गांववालों को इकट्ठा कर उसे नज़दीक के अस्पताल में भर्ती कराया। बच्ची को मारने के लिए उसके ऊपर एक 10 किलो का पत्थर भी रखा हुआ था। इस घटना से प्रेरित होकर फिल्म बनाना अकाश और उनकी टीम के लिए इतना आसान नहीं था।
फिल्म की शूटींग के दौरान निर्देशक आकाश एक घटना के शिकार हुए थे, जिसमें उनके पैर में गहरी चोट भी आई थी। लेकिन हार ना मानते हुए 21 महीनों की मेहनत के बाद आकाश और उनकी टीम को एक शानदार शॉर्ट फिल्म बनाने में कामयाब मिली। यह फिल्म अब तक कई फिल्म फेस्टीवल्स में कई तरह के पुरस्कार जीत चुकी है और अब 1 नवम्बर को यह फिल्म ऑस्कर अवार्ड्स की जूरी के सामने प्रदर्शित की जाएगी।
Message for our modern young and aurthodox society for new born girl child