फिल्म समीक्षा: जेल के अंदर की अनजान दुनिया से परिचय कराती है लखनऊ सेंट्रल

Lucknow Central Movie Poster

रॉक ऑन, वज़ीर और भाग मिल्खा भाग जैसी हिट फिल्मों के बाद इंडस्ट्री में फरहान अख्तर की डिमांड लगातार बढ़ रही है। इस हफ्ते उनकी नई फिल्म लखनऊ सेंट्रल ने बड़े पर्दे पर दस्तक दी है। यह फिल्म एक सत्य घटना पर आधारित बताई जा रही है। रंजीत तिवारी द्वारा निर्देशित इस फिल्म का निर्माण निखिल आडवाणी ने किया है। फिल्म में फरहान के अलावा डायना पेंटी, रोनित रॉय, गिप्पी ग्रेवाल और रवि किशन लीड रोल में नज़र आएंगे। इसके अलावा मशहूर भोजपूरी एक्टर और सिंगर मनोज तिवारी का भी फिल्म में स्पैशल एपीयरेंस है।

कहानी
फिल्म की कहानी उत्तर प्रदेश के शहर मुरादाबाद से शुरु होती है। उस शहर का एक लड़का किशन गिरहोत्रा (फरहान अख्तर) को म्यूज़िक बेहद पसन्द होता है। उसका सपना होता है कि वह भी अपना एक बैंड बनाएं। एक दिन वह मनोज तिवारी का कॉन्सर्ट सुनने के लिए जाता है। कॉन्सर्ट के दौरान वहां मौजूद एक आईपीएस अधिकारी का मर्डर हो जाता है। उस मर्डर का इल्ज़ाम किशन के ऊपर लगाकर उसे लखनऊ सेंट्रल जेल भेज दिया जाता है। जेल में उसकी मुलाकात एक एनजीओ वर्कर (डायना पेंटी) से होती है, जो उसकी काफी मदद करती है।

मुख्यमंत्री (रवि किशन) 15 अगस्त पर होने वाले खास आयोजन के लिए कैदियों के बैंड का कार्यक्रम रखते है। यह बात किशन को जैसे ही पता चलती है, वह जेल के अन्य कैदियों के साथ मिलकर अपना बैंड तैयार करता है। अपने बैंड का नाम वह लखनऊ सेंट्रल बैंड रखता है। लेकिन जेलर (रोनित रॉय) को किशन की बैंड बनाने की बात पसन्द नहीं आती। वह नहीं चाहता की उसकी जेल का कोई कैदी 15 अगस्त के कार्यक्रम में शामिल हो। कैदियों को परेशान करने के लिए वह कई तरह के हथकण्डें अपनाता है। क्या फरहान अख्तर अपना बैंड बनाने का सपना पूरा कर पाएगा? 15 अगस्त पर होने वाले खास कार्यक्रम में क्या उसका बैंड परफोर्म कर पाएगा? इन सवालों का जवाब पाने के लिए तो आपको फिल्म देखने थियेटर जाना पड़ेगा।

एक्टिंग
फरहान अख्तर एक लोकल बॉय के रुप में फिट बैठते है। हालांकि कई बार उनकी एक्टिंग, ओवर एक्टिंग का रुप लेती नज़र आती है। इसके बावजूद उनका किरदार आपको कई सीन्स पर इमोशनल होने के लिए मजबूर कर देगा। एनजीओ वर्कर के रुप में डायना पेंटी ने अच्छा काम किया है। मुख्यमंत्री की भूमिका में रवि किशन का रोल अखिलेश यादव से मेल खाता है। जेलर के रोल में रोनित रॉय से बेहतर विकल्प कोई नहीं हो सकता था। रोनित के किरदार ने फिल्म को मजबूती प्रदान की है। दीपक डोबरियाल की अदाकारी भी शानदार है।

म्यूज़िक एंड डायरेक्शन 
फिल्म के म्यूज़िक पर काफी अच्छा काम किया गया है। सभी गाने फिल्म की कहानी पर ही आधारित है। अरिजीत सिंह का गाना रंगदारी पहले ही हिट हो चुका है। इसके अलावा सुखविंदर सिंह का फेमस सोंग, कांवा कांवा का रिमीक्स वर्ज़न फिल्म में डाला गया है। मोहित चौहान और दिव्य कुमार का गाना तीन कबूतर भी दर्शक पसन्द कर रहे है।

डायरेक्शन की बात करें तो रंजीत तिवारी की जितनी तारीफ की जाए कम है। इस फिल्म से वह डायरेक्शन में डेब्यू कर रहे है। जेल के अंदर कैदियों की एक अलग ही दुनिया को उन्होंने दर्शाया है, जो बाहर की आम जनता की सोच से बिल्कुल परे है। फिल्म में उन्होंने कॉमेडी के भी कुछ पंच डालने की कोशिश की है।

क्यूं देखें
फिल्म की लोकेशन से लेकर डायलोग्स तक सभी काफी बेहतरीन है। बंद कैदी होते है सपने नहीं, शहर छोटे होते हैं सपने नहीं, जैसे डायलोग फिल्म की यूएसपी कहे जा सकते है। हालांकि इंटरवल के बाद फिल्म की कहानी कुछ धीमी जरुर हो जाती है, इसके बवाजूद आपको फिल्म के साथ जोड़े रखने में सफल होती है। फिल्म देखने के बाद आप जेल के अंदर की दुनिया को अपने मन से नहीं निकाल पाएंगे। इस फिल्म की कहानी कुछ समय पहले आई फिल्म कैदी बैंड से मेल खाती है, जो बॉक्स ऑफिस पर बड़ी फ्लॉप साबित हुई थी। फिल्म लखनऊ सेंट्रल की तुलना उससे नहीं की जा सकती है। फरहान अख्तर के फैन है और कुछ दमदार देखने का शौक रखते है तो यह फिल्म देखने जरुर जाएं।

रेटिंग और बॉक्स ऑफिस प्रेडिक्शन
लखनऊ सेंट्रल एक साफ़ नियत से बनाई गयी फिल्म है। हमारी तरफ से फिल्म को 5 में से 3 स्टार।फिल्म का बजट 32 करोड़ के लगभग बताया जा रहा है। यह फिल्म लगभग 1700 स्क्रिन्स पर रिलीज़ हो रही है। बॉक्स ऑफिस पर फिल्म की कमाई का अंदाज़ा वीकेंड के बाद ही लगाया जा सकता है। लखनऊ सेंट्रल के अलावा लगभग आधा दर्जन फिल्में इस हफ्ते बड़े पर्दे पर रिलीज़ हो रही है। कंगना रनौत की सिमरन और ऋषि कपूक की पटेल की पंजाबी शादी जैसी फिल्में, इस फिल्म के लिए मुश्किल पैदा कर सकती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.