‘सोने की चिड़िया’ कहे जाने वाले भारत देश को 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेज़ों के कब्ज़े से आज़ादी मिली और तब से ये दिन यहाँ के लोगों में एक खास दिन बन गया। 15 अगस्त का दिन हमें अपने जवानों और उनकी कुर्बानियों की याद दिलाता है। समय के साथ 15 अगस्त के मायने बदल गये है। कभी ये दिन देशवासियों के हृदय में देशभक्ति की भावनाओं की आग भर देता था। अब समय बदल गया है और स्वतंत्रता दिवस लोगों के लिए छुट्टी के दिन बनता जा रहा है। लोग इस दिन घरों में बैठकर एन्जॉय करते है या अपने परिवार के साथ घूमने निकल पड़ते है।
आम लोगों के लिए भले आजादी के मायने बदल रहे हो पर सरहद पर बैठे जवान के लिए आज भी देश की सुरक्षा करना उसका सर्वोपरि धर्म है। बॉलीवुड ने हमेशा इन जवानों और इनकी कुर्बानियों को सलाम किया है। सालों से बॉलीवुड ने देशभक्ति और देश के जवानों की कहानियों को पर्दे पर दिखाने का काम बखूबी निभाया है। भारत के 70वें स्वतंत्रता दिवस पर हम नज़र डाल रहें हैं ऐसी कुछ फिल्मों पर जो आपके अन्दर देशभक्ति की ज्वाला जगा देंगी और आपकी आँखों में आँसू दे जायेंगी:
शहीद (1965)
1965 में बनी इस फिल्म में मनोज कुमार ने मुख्य किरदार निभाया था। फिल्म की कहानी वर्ष 1916 से शुरू होती है जब भगत सिंह के चाचा अजित सिंह को अंग्रेजों के खिलाफ बगावत करने के जुर्म में पुलिस गिरफ्तार कर लेती है। उनसे बाद फिल्म में भगत सिंह की कहानी दिखाई गयी है। मनोज कुमार के शानदार अभिनय से सजी ये फिल्म आपको अपने देश के लिए कुछ कर गुजरने की उमंग दे जाती है।
बॉर्डर (1997)
1997 में आई यह फिल्म भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध पर आधारित थी। जवानों की सरहद पर जिंदगी की कहानी के साथ-साथ उनकी निजी ज़िन्दगी को भी बखूबी पर्दे पर दर्शाया गया है। फिल्म में सभी कलाकारों ने शानदार अभिनय किया है।
हकीकत (1962)
एक ऐसे सैनिकों की टुकड़ी के बारें में दिखया गया है जो लद्दाख में भारत और पाकिस्तान के बीच छिड़ी जंग का हिस्सा है। इसी दौरान उन्हें ऐसा लगने लगता है कि वह अब बच नहीं पाएंगे। लेकिन फिर भी उनके कदम नहीं डगमगाते और वह जमकर दुश्मनों का सामना करते हैं। जब उन्हें अपनी मौत निश्चित लगने लगती हैं तभी उनके कैप्टन बहादुर सिंह उन्हें बचा लेते है।
क्रांति (1981)
क्रांति उन दुर्लभ फिल्मों में से एक है जो 1825 से 1875 के बीच अंग्रेजो से आजादी के लिए हुई लड़ाई को दर्शाती है। फिल्म में मनोज कुमार, दिलीप कुमार, हेमा मालिनी, शत्रुगन सिन्हा और शशि कपूर की मुख्य भूमिकाएँ थी। आज भी जब देशभक्ति पर बनी फिल्मों की बात होती है तो क्रांति का नाम सबसे पहले लिया जाता है।
द लीजेंड ऑफ़ भगत सिंह (2002)
शहीद भगत सिंह की जीवनी पर आधारित ये फिल्म आपको झकझोर कर रख देगी। राजकुमार संतोषी द्वारा निर्देशित इस फिल्म में भगत सिंह की कहानी को बखूबी दर्शाया गया है। फिल्म में अजय देवगन ने मुख्य भूमिका निभाई थी और आज भी जब ये फिल्म टीवी पर आती है तो लोगों में देशभक्ति की भावनाओं का संचार कर जाती है।
मंगल पाण्डेय: द राइजिंग (2005)
आमिर खान की मुख्य भूमिका वाली ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर नाकाम रही थी। अगर आपको भारत के पहले क्रांतिकारी मंगल पाण्डेय की कहानी के बारे में जानना है तो ये फिल्म आपके लिए है।
रंग दे बसंती (2006)
रंग दे बसंती को पिछले 15 सालों की सबसे बहतरीन फिल्मों में गिना जाता है। ये कहानी है कुछ ऐसे लापरवाह और जिंदादिल नौजवानों के बदलाव की, जो भ्रष्टाचार के चलते अपने एक दोस्त को खो देते हैं। अपने दोस्त की शहीदी का बदला लेने के लिए इनको गैरकानूनी और क्रांतिकारी कदम उठाने पड़ते हैं। रंग दे बसंती आपको ख़ुशी और गम के आँसू दे जाती है।
स्वदेस (2004)
शाहरुख़ खान की इस फिल्म में देशभक्ति को अलग नजरिया दिया गया है। ये एक ऐसे वैज्ञानिक की कहानी है जो अपने देश की दुर्गति को देखते हुए नासा जैसी बड़ी जगह अपना इस्तीफा देता है और अपना कौशल और बुद्धि देश की सेवा और उसके नागरिकों के उद्धार में लगाने का फैसला लेता है।
चक दे इंडिया (2007)
2007 में आई इस फिल्म में शाहरुख़ खान ने हॉकी कोच की भूमिका निभाई थी। फिल्म एक ऐसे खिलाडी की कहानी है जिस पर पाकिस्तान से हार के बाद देशद्रोही होने का इल्जाम लगता है। कैसे ये खिलाडी, एक कोच के रूप में 16 साधारण लड़कियों को एक ऐसी चैंपियन टीम में बदलता है जो वर्ल्ड कप जितने में कामयाब होती हैं। फिल्म में शाहरुख़ का शानदार अभिनय आपको उनका फेन बना देगा।
लक्ष्य (2004)
फरहान अख्तर द्वारा निर्देशित लक्ष्य एक ऐसे बिगड़े और लापरवाह लड़के की कहानी है जो भारतीय सेना का एक बड़ा जवान बनकर उभरता है और देश के दुश्मनों के सफाए में अपना महत्वूर्ण योगदान देता है। एक अभिनेता के तौर पर ह्रितिक ने लक्ष्य में शानदार काम किया है।